Marne Wali Shayari

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इक बदनुमा दाग निकले, तुम जहरीले जाम निकले। मैने तुम्हें जिन्दगीं समझा, तुम मौत का पैगाम निकले ।

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मैंने उसे देखा एंगील बदल बदल के। उसने मुझे मारा सेंडल बदल बदल के।

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चली हो तुम, इस जहाँ से उस जहाँ में, हुआ मेरी जिन्दगी पराई। तुम्हें तो मिल गया ठिकाना और मुझे मौत भी न आई।

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उसे भी दुःख दर्द का एहसास हैं। आज उसने कह जो दिया आखिर, तुम मर क्यों नहीं जाते।

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इक बदनुमा दाग निकले, तुम जहरीले जाम निकले। मैने तुम्हें जिन्दगीं समझा, तुम मौत का पैगाम निकले ।

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एलान –ए-मौत हुआ तो लोगो ने ये कहा। अच्छा हुआ की मर गया बहुत उदास रहता था।

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आया हूं जहाँ से जाना है फिर लौट वहीं एक दिन। बस नाम का आवारा हूं और बस नाम का एक बदल हूँ मैं।

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लोग हर मोड़ पे रूक रूक के संभालते क्यों है। इतना डरते है तो फिर घर से निकलते क्यों है।

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मौत की सरहद पे भी, तेरी सलामती की दुआ मांगते है । खुदा उन्हें खुश रखना, जिनके लिये हम ये दुआं मांगते है।

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विधाता नहीं हुई हो निष्ठूर तुम। मरकर ठोकर नसीब पे हुई हो दूर तुम, नागिन बन तुम प्यार में।

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एसी बात न बोलो मेरी निकल जाई जान। लाख करे बदनाम दुनिया तुम हो मगर इन्सान।

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Thank You

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