Gajab Shayari
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कर लूं आत्म हत्या अब सहा न जाता। गोरी तुम बिन एक पल मुझसे रहा न जाता।
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ऐडा मेरी कटी यह था किसी जन्मों का कर्म। विनती न सुनते भगवान करता हूँ फिर भी धर्म।
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छोड़ों ये सब बाते नियति का खेल निराला है। तेल हो दीपक में तो सोचों वहां उजाला है।
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सही समझती हो तुम प्यारी लोग हंसी उड़ाते है। शांति चाहता हूँ मगर जहाँ सीधा पर बोझ चड़ाते है।
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ठीक हो जायेगा सब कुछ दिन संघर्ष करो। विपत्ती में धैर्य धरो और दिल में हर्ष करो।
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सौ औसधी ले आइये और पीये चतुरंग। तुरंत मिटे तान की तपन शीतल होबे अंग।
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कुछ नहीं दरकार है मुझ को निशानी आप की। एक बोसा दीजिए है मेहरबान आप की।
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मुसव्वर खींच वह नाछा की जिसमें वह सफाई हो।
उधर शमशीर खिंची हो इधर गर्दन छिपती नहीं।
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अब बहुत करलो मेहनत,
अब करके उसकी ईबादत और ले के उसकी इज़ाज़त।
चलो चलके देखे तो कैसे होते है,
ये जन्नत अब खुदा से की येही है हमारी मन्नत।
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दिल से तेरे ख्याल न गये तव क्या करूँ, तू ही बता एक तू ही याद आए यू क्या करूँ। हसरत यह है तुझे एक नज़र देख लू, किस्मत अगर वो दिल न लाये ताऊ क्या करू।
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