SLIDE NO 2

Hishayari.com

शाम से आँख में नमी सी है। आज फिर आप की कमी सी है।

SLIDE NO 3

Hishayari.com

शाम से आँख में नमी सी है। आज फिर आप की कमी सी है।

SLIDE NO 4

Hishayari.com

यादा कुछ नहीं बदलता उम्र के साथ। बस बचपन की जिद्द समझौतों में बदल जाती हैं।

SLIDE NO 5

Hishayari.com

तेरे बिना ज़िन्दगी से कोई शिकवा तो नहीं। तेरे बिना पर ज़िन्दगी भी लेकिन ज़िन्दगी तो नहीं।

SLIDE NO 6

Hishayari.com

मैं हर रात ख्वाईशो को खुद से पहले सुला देताहूँ। हैरत यह है की हर सुबह ये मुझसे पहले जग जाती है।

SLIDE NO 7

Hishayari.com

खुली किताब के सफ़्हे उलटते रहते हैं। हवा चले न चले दिन पलटते रहते है।

SLIDE NO 8

Hishayari.com

वो चीज़ जिसे दिल कहते हैं,। हम भूल गए हैं रख के कहीं।

SLIDE NO 9

Hishayari.com

कितनी लम्बी ख़ामोशी से गुज़रा हूँ। उन से कितना कुछ कहने की कोशिश की।

SLIDE NO 10

Hishayari.com

आ रही है जो चाप क़दमों की। खिल रहे हैं कहीं कँवल शायद ।

SLIDE NO 11

Hishayari.com

वो मोहब्बत भी तुम्हारी थी वो नफ़रत भी तुम्हारी थी। हम अपनी वफ़ा का इंसाफ किससे मांगते वो शहर भी तुम्हारा था। वो अदालत भी तुम्हारी थी ।

SLIDE NO 12

Hishayari.com

तुझे पहचानूंगा कैसे? तुझे देखा ही नहीं। ढूँढा करता हूं तुम्हें अपने चेहरे में ही कहीं।

SLIDE NO 12

Thank You

SLIDE NO 13

Hishayari.com

इसे भी जरूर पढ़ें :-